क्या अमित शाह TATA Group को बचा पाएंगे? Tata Sons में झगड़ा शेयर मार्केट पर असर…

TATA Group जिसका वैल्यूएशन करीब 26 लाख करोड़ रुपये है और यह ग्रुप ,इ 400 से अधिक कंपनिया शामिल हैं, इन दिनों टाटा ग्रुप में विवाद के कारण टाटा के सभी स्टॉक्स मार्किट में फोकस में है। यह विवाद की शुरुआत टाटा ट्रस्ट्स (जो टाटा संस की 66% हिस्सेदारी रखता है) के भीतर से हुई।

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मुख्य विवाद टाटा संस के बोर्ड की सीटों और गवर्नेंस संरचना को लेकर है। टाटा ट्रस्ट्स के कुछ सदस्यों के बीच मतभेद ने टाटा संस और पूरे समूह के संचालन में तनाव पैदा कर दिया है। इस विवाद के चलते सरकार को बीच में आना पड़ा है क्योंकि टाटा समूह देश की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण व्यावसायिक संस्थाओं में से एक है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर है।

अमित शाह और निर्मला सीतारमण का TATA Group में हस्तक्षेप

केंद्र सरकार ने टाटा ग्रुप की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टाटा ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इस बैठक में टाटा ट्रस्ट्स के चार प्रमुख प्रतिनिधि – नोएल टाटा (चेयरमैन), वेणु श्रीनिवासन (वाइस-चेयरमैन), एन चंद्रशेखरन (टाटा संस के चेयरमैन) और डेरियस खंबाटा (ट्रस्टी) शामिल थे। सरकार ने टाटा ट्रस्ट्स के भीतर हो रही कलह को टाटा संस और समूह के व्यापक संचालन को प्रभावित करने से रोकने पर जोर दिया।

सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया कि स्थिरता बनाए रखना जरूरी है और यदि कोई ट्रस्टी समूह के कामकाज में बाधा डालता है तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। यह बैठक इस बात को लेकर गंभीर चिंता जताती है कि टाटा ट्रस्ट्स के अंदर विवाद टाटा संस के संचालन में परेशानी पैदा कर सकते हैं, जिसके कारण सरकार ने हस्तक्षेप किया है।

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Tata Sons की लिस्टिंग पर असर

इस विवाद के दौरान रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने टाटा संस सहित कुछ बड़ी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) की सार्वजनिक लिस्टिंग की मांग की है। टाटा संस की लिस्टिंग योजनाएं लंबे समय से लंबित हैं और अब यह विवाद इसे और मुश्किल बना रहा है। साथ ही, विवाद की वजह से टाटा संस के लिक्विडिटी विकल्पों पर भी असर पड़ रहा है, जो शापूरजी पालोनजी ग्रुप की सहायता से जुड़े हुए हैं। इसलिए यह विवाद केवल गवर्नेंस का मामला नहीं बल्कि कंपनी के वित्तीय फैसलों और भविष्य की योजनाओं को भी प्रभावित कर रहा है।

TATA Group का महत्व और सरकार का फोकस

टाटा समूह देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूहों में से एक है, जिसकी अर्थव्यवस्था और स्टॉक मार्केट पर गहरी पकड़ है। इस समूह में लाखों कर्मचारी जुड़े हैं और इसका प्रभाव देश के व्यावसायिक माहौल पर व्यापक है। इसलिए, सरकार इस बात को लेकर निर्देशित है कि टाटा समूह का नियंत्रण किसी एक व्यक्ति के हाथ में केंद्रित न हो। यह मानते हुए कि समूह के भीतर कलह से देश की छवि और आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, अमित शाह समेत अन्य मंत्रियों ने वरिष्ठ टाटा अधिकारियों से स्थिति को जल्द स्थिर करने का आग्रह किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार टाटा समूह में स्थिरता बनाए रखना चाहता है।

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शेयर मार्केट पर दबाव

टाटा समूह के अंदर चल रहे बोर्डरूम विवाद ने निवेशकों में अनिश्चितता पैदा की है, जिससे शेयर बाजार में टाटा समूह के स्टॉक की कीमतों में कमजोरी आई है। अक्टूबर 2025 के पहले हफ्ते में कई टाटा समूह की कंपनियों के शेयर अपने 52 सप्ताह के उच्च स्तर से 50% तक नीचे आ चुके हैं। इससे कुल मिलाकर समूह की मार्केट वैल्यू में भारी कमी आई है। यह दबाव समूह की लंबी अवधि की रणनीति और नेतृत्व की दिशा पर सवाल खड़े कर रहा है।

पिछले एक साल में सबसे ज्यादा गिरावट:

1 टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS): लगभग 26% की गिरावट

2 ट्रेंट (Trent): 44% की गिरावट

3 वोल्टास (Voltas): 27% की गिरावट

4 टाटा टेलीसर्विसेज (महाराष्ट्र) (Tata Teleservices Maharashtra): 24% की गिरावट

5 टेज़स नेटवर्क्स (Tejas Networks): लगभग 52% की गिरावट

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य सूचना के लिए है। निवेश से पहले कृपया अपनी वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। PBL NEWS में किसी भी प्रकार का निवेश या वित्तीय निर्णय लेने के लिए कोई सुझाव नहीं है। हम जानकारी की पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते। निवेश करते समय अपनी समझदारी और सतर्कता का उपयोग करें।

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